क्षमा करे प्रभू

गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।


रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।


नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,


एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का  हिसाब  निकालने लगे ।


अचानक…..,


हाथ से पेन फिसला और डुबुक ….


पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान ।


आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था ।


कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते ,


पानी में उतरने का प्रयास करते ,


फिर डर कर कदम खींच लेते ।


एकदम नया पेन था ,


छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।


अचानक…….


पानी में एक तेज लहर उठी ,


और साक्षात् वरुण देव सामने थे ।


गुरूजी हक्के -बक्के ।


कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई ।


वरुण देव ने कहा , ”गुरूजी, क्यूँ इतने परेशान हैं ।


प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ?


गुरूजी अचकचाकर बोले , ” प्रभु ! आज ही सुबह
एक पेन खरीदा था ।


पूरे पांच रूपये का ।


देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है ।


यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया 


प्रभु बोले , ” बस इतनी सी बात ! अभी निकाल
लाता हूँ ।”


प्रभु ने डुबकी लगाई ,


और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए ।


बोले – ये है आपका पेन ?


गुरूजी बोले – ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये
चांदी का पेन नसीब । ये मेरा नाहीं ।


प्रभु बोले – कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ


डुबुक …..


इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये।


बोले – “लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।”


गुरूजी बोले – ” क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।


इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ ।


थके हारे प्रभु ने कहा , ” चिंता ना करो गुरुदेव ।


अबके फाइनल डुबकी होगी ।


डुबुक …. 


बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये ।


हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर ।


बोले – ये है क्या ?


गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है , यही है ।


प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत
लिया गुरूजी ।


आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो ।


गुरूजी ख़ुशी – ख़ुशी घर को चले ।


.
.
कहानी अभी बाकी है दोस्तों —


गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई 


चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।


पत्नी को विश्वास ना हुवा ,


बोली तुम किसी का चुरा कर लाये हो ।


बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी 


तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले ।


दोनों उस पत्थर पर बैठे , 


गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे – कैसे सब हुवा 


पत्नी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि 


अचानक …….


डुबुक !!! 


पत्नी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई ।


गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे ।


ये क्या हुवा !


जोर -जोर से रोने लगे ।


तभी अचानक ……


पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।


नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट
हुवे ।


बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ?


गुरूजी ने रोते हु story प्रभु को सुनाई ।


प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो ।


मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।


प्रभु ने डुबकी लगाईं ,


और …..
..
थोड़ी देर में


वो  कैटरीना को लेकर प्रकट हुवे । 


बोले –गुरूजी ।


क्या यही आपकी पत्नी जी है ??


गुरूजी ने एक क्षण सोचा ,


और चिल्लाए –


हाँ यही है , यही है ।


अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी ।


बोले – दुष्ट मास्टर ।


ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।


गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु ।


मेरी कोई गलती नहीं ।


अगर मैं इसे मना करता तो आप


अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लाते ।


मैं फिर भी मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते ।


फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते ।


अब आप ही बताओ भगवन , 


इस महंगाई के जमाने में 
7th pay Commission ने भी रुला दिया।उसके बाद भी मोदी जी खून चूसने पर लगे है


अब मैं तीन – तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।इन तीन तीन गृहलक्ष्मियों का बोझ प्रभू मुझसे नहीं उठेगा।
क्षमा करे प्रभू।
इसलिये सोचा , कैटरीना से ही काम चला लूँगा ।


प्रभु बेहोश होकर पानी में गिर गए ।